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इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोक धाम के बारे में एक रहस्यमयी खुलासा

इस आर्टिकल में हम आपको लखीसराय में स्थित इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोक धाम के बारे में एक रहस्यमयी बात बतायेंगे जिसके बारे में शायद ही आपको या किसी को भी पता होगा। इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम गुप्तकाल में भी अत्यंत महत्वपूर्ण धर्मस्थल था।लखीसराय बिहार का एक जिला है। इसका मुख्यालय लखीसराय है। लखीसराय बिहार के महत्वपूर्ण शहरों में एक है। इस जिले का गठन 3 जुलाई 1994 को किया गया था। इससे पहले यह मुंगेर जिला के अंतर्गत आता था।

इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर किसने बनाया?

इतिहासकार इस शहर के अस्तित्व के संबंध में कहते हैं कि यह पाल वंश के समय  में आया था। चूंकि‍ उस समय के हिंदू राजा मंदिर बनवाने के शौकीन हुआ करते थे, अत: उन्होंने इस क्षेत्र में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। इन मंदिरों में कुछ महत्वपूर्ण तीर्थस्थान इस प्रकार हैं -इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम, भगवती स्थान, बड़ैहया, श्रृंगऋषि, जलप्पा स्थान, अभयनाथ स्थान, अभयपुर, गोबिंद बाबा स्थान, मानो-रामपुर, दुर्गा स्थान, लखीसराय आदि। इसके अलावा महारानी स्थान, दुर्गा मंदिर ।
भागलपुर संग्रहालय के ताम्रपत्र से ज्ञात होता है, कि इस वंश के नारायण पाल शासक ने ,  मुद्रागिरि से श्रीनगर पाटलिपुत्रा के बीच 1000 शिव मन्दिर बनवाए। इस शिवलिंग( अशोकधाम की शिवलिंग)  को भी उसी  कड़ी में मापा जाता है। यह कालांतर में जमीन के नीचे चला गया। फिर 1977 में इसकी खुदाई की गई। पालवंश का शासक धर्मपाल सन 770 से 810ई. तक बौद्धमतावलम्बी था। उन्होंने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इनके काल में ही बौद्धधर्म का विकास हुआ था।

इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर: एक अनोखी घटना

बात लगभग चार दशक पहले की है, जब लखीसराय के चौकी गांव के दो बच्चों ने जमीन खोद कर खेले जाने वाले खेल सतघरवा खेल रहे थे तभी खेल के दौरान वहाँ जमीन में थोड़ा मिट्टी के अन्दर एक  काला पत्थर देखा। सभी बच्चों को उसे निकालने की चेष्टा हुई। सभी बच्चे वहाँ खोदने लगे,  खोदने पर जब बच्चों से वह काला पत्थर नहीं निकल पाया, तो सभी ग्रामीण वासी  को सूचना दी। उस टीले की खुदाई की गई, तो वहाँ काला पत्थर निकाला जो कि काला पत्थर नहीं था , बल्कि एक विशालकाय शिवलिंग था। तो सभी गाँवों के लोगों की इच्छा थी कि वहाँ एक मन्दिर की स्थापना की जाए और उस शिवलिंग को वहीं स्थापित किया जाए।
मंदिर के विकास के लिए इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की गई और इसी ट्रस्ट की देखरेख में जनसहयोग से करोड़ों रुपए की लागत से मंदिर निर्माण कराया गया।मान्यता है, कि शिवलिंग का नामकरण श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव ने किया था।   इनके नाम से ही मन्दिर का नाम इन्द्रदमनेश्वर शिव मंदिर हुआ।


इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर:
इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर: भगवान शिव का जलाभिषेक करते श्रद्धालु

इन 40 सालों में लोगों के सहयोग से विशाल शिव मंदिर एक धाम के रूप में बदल गया  है। जिस बालक ने इस जगह ( जमीन के अन्दर शिवलिंग) को खोजा था उसका नाम अशोक था इसलिए इस धाम का नाम अशोकधाम पड़ गया।
बिहार-झारखंड विभाजन में वैद्यनाथ धाम, देवघर के कट जाने के बाद इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम को बिहार के बाबाधाम के नाम से जाना जाने लगा।मंदिर के पुजारी बाबा अशोक यादव जी बताते हैं कि सावन के महीने में लाखों की संख्या में कांवरिया वाले यहां बाबा का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं।इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम में बगैर किसी लग्न-मुहूर्त के  मांगलिक कार्य होते है।
इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोक धाम के बारे में एक रहस्यमयी खुलासा Reviewed by , on May 01, 2018 Rating: 5

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